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प्रेरणादायक कहानी: स्वाति की यात्रा आंसुओं, तानों और जीत से

एक महिला केबिन क्रू यूनिफॉर्म में और एक युवती पारंपरिक परिधान में, पीछे आसमान में उड़ता विमान

बिहार की साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर केबिन क्रू बनने तक की स्वाति की प्रेरणादायक यात्रा, जो सपनों और संघर्ष की मिसाल है।

प्रेरणादायक कहानी: बिहार की गलियों से उड़ान की चाह

स्वाति की प्रेरणादायक कहानी एक छोटे से बिहार के शहर से शुरू होती है, जहाँ हमेशा यही कहा जाता था कि “बेटियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।” लेकिन स्वाति की चाह बिल्कुल अलग थी — वह आम लड़कियों की तरह अपने सपने नहीं छोड़ना चाहती थी। वह केबिन क्रू बनना चाहती थी और समाज के पुराने विचारों से बाहर निकलकर कुछ अलग करना चाहती थी।

प्रेरणादायक कहानी: बार-बार असफलता और आंसू

एक आखिरी ट्रेनिंग बची थी जिसमें पास होने पर ही स्वाति को उनके विंग्स मिलते — लेकिन वह फेल हो गई। उन्हें लगा कि उनका सपना टूट जाएगा। सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब उन्होंने अपने पिता को रोते देखा। लेकिन यही उनके लिए सबसे बड़ा जवाब था — “बेटियाँ कुछ नहीं कर सकती” जैसी बातों को पूरी ताकत से नकारना।

प्रेरणादायक कहानी: समाज के ताने, घरवालों के सवाल

स्वाति के परिवार में तीन बेटियाँ थीं, लोग कहते, “तीनों बस शादी कर लेंगी, फिर कुछ करना नहीं है।” लेकिन स्वाति का सपना अलग था — उन्हें क्रू बनना था। जब उन्होंने दिल्ली में इंटरव्यू देने की बात घर में रखी, तो रिश्तेदार बोले — “ऐसे अकेली लड़की को बाहर नहीं भेजते।” एयर इंडिया के पहले इंटरव्यू में आखिरी राउंड में सेलेक्शन नहीं हुआ। इंडिगो के इंटरव्यू में बीएमआई (BMI) के कारण रिजेक्ट हो गईं, एयर एशिया में हाइट के कारण। हर बार रिजेक्शन से स्वाति को लगता कि पापा ने मुझ पर विश्वास किया — लेकिन मैं उसपर खरी नहीं उतर पा रही।’

स्वाति की पूरी प्रेरणादायक यात्रा और संघर्ष की कहानी देखने के लिए यहां क्लिक करें।

प्रेरणादायक कहानी: जीवन की कठिनाइयों और उत्पीड़न से जूझना

इंटरव्यू में विफल होने के बाद स्वाति वापस बिहार आ गईं, और दोबारा कॉलेज में पढ़ाई शुरू कर दी। लेकिन कॉलेज हॉस्टल के कुछ लड़कों ने उन्हें इतना परेशान किया कि समय-समय पर उन्हें पढ़ाई छोड़ने का मन हुआ। यहां तक कि पुलिस तक जाने की नौबत आ गई। उसी दौरान कॉलेज में केबिन क्रू की मुफ्त ट्रेनिंग का मौका मिला। सपने फिर जाग उठे।

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प्रेरणादायक कहानी: हार न मानने का जुनून

उस समय तक परिवार में भी कुछ सदस्य ताने मार रहे थे। मगर स्वाति ने उम्मीद नहीं छोड़ी। गुवाहाटी में अकासा एयर के इंटरव्यू का पता चला। पहले तीन इंटरव्यूज़ में रिजेक्शन के कारण घबराहट थी, लेकिन पहले राउंड में सेलेक्शन मिला। जैसे ही बीएमआई राउंड दिया, उन्हें अपने सबसे प्यारे दोस्त की मौत की खबर मिली। हिम्मत टूट सी गई — लेकिन फिर भी रुकी नहीं। वापस बिहार आईं, तो आखिरी इंटरव्यू के लिए दिल्ली बुलाया गया। टिकट के पैसे नहीं थे, तो दोस्तों से मदद ली।

दिल्ली में इंटरव्यू दिया — लेकिन दो और लड़कियों का तुरंत चयन हो गया, स्वाति का कुछ पता नहीं चला। उन्होंने महसूस किया कि जिंदगी में सपने के साथ-साथ खर्च भी आता है, और जब सब पैसा उधार मांगकर खर्च हो, तो निराशा दुगनी हो जाती है। लगभग एक हफ्ते तक स्वाति डिप्रेशन में रहीं, बहुत रोईं, सबकुछ खत्म सा लग रहा था।

भाग्य बदलने वाली कॉल

अचानक एक शाम, छत पर चलते हुए स्वाति को फोन आया — “स्वाति, आप अकासा एयर में चयनित हो गई हैं।” यकीन नहीं हुआ, मगर फिर उनकी मेहनत और संघर्ष का फल मिल ही गया। पहली बार अपने परिवार में किसी ने एयरक्राफ्ट में बैठा था — और वो भी अपनी बेटी के लिए।

आर्थिक तंगी, परिवार का सहारा

इसके बाद मेडिकल के लिए ₹25,000 की जरूरत थी, जो पापा के दोस्त ने दी। दिल्ली जॉइनिंग के लिए जीजा ने टिकट के पैसे दिए। ट्रेनिंग के दौरान भी बहुत लोग ताने मारते रहे, कि “लड़की कितनी देर में घर आती है”, “लड़कों के साथ घूम रही है”, मगर स्वाति बिना रुके आगे बढ़ती रही।

सारी ट्रेनिंग्स सफलतापूर्वक पार कर लीं, मगर आखिरी प्रशिक्षण में फिर से असफलता मिली। माँ को फोन कर खूब रोईं, कहा — “मुझसे नहीं हो पाएगा।” लेकिन फिर वो संघर्ष से बाहर निकलीं, दोबारा परीक्षा दी, और पास हो गईं। आखिरकार, विंग्स मिल गए।

परिवार की आभारी, अपनी जीत से सबका सम्मान

आज तक स्वाति के परिवार में किसी ने हवाई जहाज में यात्रा नहीं की थी। जब पिता पहली बार फ्लाइट में बैठे, तो हर पल की तस्वीरें भेजीं। स्वाति ने सबसे पहले एयरपोर्ट पर जाकर पापा को गले लगाया और पैर छुए, क्योंकि उनके आशीर्वाद से ही आज वह यहाँ तक पहुँची थी। परिवार के आंसुओं में गर्व था — वर्षों के त्याग और संघर्ष का इनाम।

अब खुद परिवार की मजबूत दीवार

स्वाति अब अपने परिवार को भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से पूरी ताकत से सपोर्ट करती हैं। वह चाहती हैं कि परिवार वह सब देखे, जो कभी उनकी मुश्किलों के कारण नहीं देख सके। उनके लिए अब जीवन का मकसद उनके परिवार को सबसे अच्छा देना और सपनों के साथ उन्हें भी ऊँचाइयाँ दिखाना है।

प्रेरणादायक कहानी: हर सपने देखने वाले के लिए

स्वाति की प्रेरणादायक कहानी यही बताती है — हार मानना विकल्प नहीं है। चाहे जितनी बार गिरो, एक बार फिर खड़े हो जाओ, अपने सपनों के लिए, अपने परिवार के लिए। कहीं न कहीं आपकी जीत — समाज, परिवार और खुद आपके लिए — प्रेरणा बन जाती है।

आपकी प्रेरणादायक कहानी क्या है? कभी हार मत मानिए, कभी सपने देखना मत छोड़िए — आपकी भी उड़ान किसी दिन ज़रूर हकीकत बनेगी।

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