उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक चर्चा जोरों पर है, जो केन्द्र में है समाजवादी पार्टी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की माफिया और अपराधों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की खुलकर प्रशंसा की, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पति के हत्यारों को न्याय मिला। इस ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। अब राजनीतिक गलियारों में यह अफवाहें जोर पकड़ रही हैं कि पूजा पाल भाजपा में शामिल होकर मंत्री पद की दौड़ में हो सकती हैं।
पूजा पाल का राजनीतिक संघर्ष और सफर
पूजा पाल का राजनीतिक सफर एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी है। उनका जन्म प्रयागराज के कटघर इलाके के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता पंचर की दुकान चलाते थे और मां घरेलू काम करती थीं। बचपन में परिवार की आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद पूजा ने हिम्मत नहीं हारी और अस्पताल में काम जैसे कई छोटे-छोटे काम करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की।
2005 में उनकी शादी बसपा के विधायक राजू पाल से हुई, जो इलाहाबाद पश्चिम से चुनावी मैदान में थे। शादी के नौ दिन बाद ही माफिया के गुर्गों ने राजू पाल की हत्या कर दी। यह दुखद घटना पूजा पाल के जीवन का मोड़ साबित हुई। उसने हार नहीं मानी और अपने पति के हत्यारों के खिलाफ न्याय प्राप्ति के लिए संघर्ष शुरू किया।
राजू पाल की हत्या के बाद बसपा की मुखिया मायावती ने पूजा पाल को पार्टी से टिकट दिया, जिससे उन्होंने इलाहाबाद पश्चिमी सीट से दो बार विधायक पद हासिल किया। 2017 में भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह से चुनाव हारने के बाद पूजा पाल ने बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी जॉइन की। सपा में उन्होंने कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की।
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परिवार और व्यक्तिगत जिंदगी
पूजा पाल के जीवन में निजी संघर्ष भी उतने ही गहरे रहे जितने उनके राजनीतिक। राजू पाल की हत्या के बाद उन्होंने 2018 में हरदोई के पूर्व विधायक बृजेश वर्मा से दूसरी शादी की। उनके बच्चों और विस्तृत पारिवारिक जीवन की जानकारी सार्वजनिक रूप से बहुत सीमित है। पूजा पाल ने अपने निजी जीवन को ज्यादा सार्वजनिक नहीं किया, बल्कि अपने राजनीतिक कार्यों और न्याय के लिए संघर्ष को प्राथमिकता दी।
हाल की घटनाएं और राजनीतिक विवाद
2025 के उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र में पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक और अपराधों के खिलाफ कड़ी नीति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके पति के हत्यारों को न्याय दिलाया और महिलाओं के लिए भी कानून का सख्ती से पालन किया। इस बयान से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव नाराज हुए और पूजा पाल को पार्टी से तुरंत निष्कासित कर दिया गया।
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। चर्चाएं हैं कि पूजा पाल भाजपा में शामिल हो सकती हैं और मंत्री पद तक पहुंच सकती हैं, जो कि समाजवादी पार्टी में रहते हुए संभव नहीं था। उन्हें न्याय दिलाने में मुख्यमंत्री योगी की भूमिका की सराहना ने भाजपा में उनके प्रवेश के लिए मार्ग प्रशस्त किया है।
पूजा पाल की कहानी — संघर्ष, हिम्मत और न्याय
पूजा पाल की राजनीतिक यात्रा संघर्ष और हिम्मत की कहानी है। एक गरीब परिवार की लड़की से शुरू होकर वह उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दलों में अपनी पहचान बना चुकी हैं। पति के हत्यारों के खिलाफ उनकी लड़ाई ने उन्हें जनता के बीच एक मजबूत महिला नेता के रूप में स्थापित किया।
उनका जीवन महिला सशक्तिकरण और न्याय की लड़ाई का प्रतीक है। हाल के राजनीतिक उथल-पुथल में, उनकी कहानी न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। पूजा पाल ने यह साबित किया है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, न्याय और सच्चाई के लिए संघर्ष जारी रहना चाहिए।
पूजा पाल का भविष्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकता है, जहां वह अपने अनुभव, संघर्ष और नए राजनीतिक गठन के साथ नयी राह बनाएंगी। उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि राजनीति में भी बदलाव और नए समीकरण संभव हैं, खासकर जब नेतृत्व महिलाओं के हक और न्याय की बात करता हो।