प्रशांत किशोर – एक ऐसा नाम जो भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बना रहता है।
उन्हें अक्सर ‘चुनावी रणनीति के मास्टरमाइंड’, ‘किंगमेकर’, या ‘डेटा-संचालित प्रचार के शिल्पकार’ के रूप में संदर्भित किया जाता है। एक दशक से भी कम समय में, प्रशांत किशोर ने भारतीय चुनावी परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया है। लेकिन वह कैसे काम करते हैं? उनकी प्रसिद्ध कंपनी I-PAC की भूमिका क्या है? उनकी ‘फीस’ को लेकर क्या मिथक और सच्चाई है? और सबसे महत्वपूर्ण, अब जब वे खुद सक्रिय राजनीति में उतर चुके हैं, तो उनका राजनीतिक भविष्य क्या है? आइए, प्रशांत किशोर के इस असाधारण पेशेवर और राजनीतिक सफर पर गहराई से जानते हैं।
चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर का उदय: भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय
प्रशांत किशोर के उदय ने भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की, जहाँ पारंपरिक रैलियों और भाषणों के साथ-साथ डेटा विश्लेषण, ब्रांडिंग और पेशेवर अभियान प्रबंधन का महत्व बढ़ा।
2014 लोकसभा चुनाव: एक गेम चेंजर की शुरुआत उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान के साथ राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई। ‘चाय पर चर्चा’, ‘3D रैलियों’, और ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ जैसे नारे उनके दिमाग की उपज थे, जिन्होंने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई। यह अभियान केवल नारों तक सीमित नहीं था; इसमें जमीनी स्तर पर डेटा संग्रह, मतदाता पहचान और सूक्ष्म-लक्ष्यीकरण जैसी रणनीतियाँ शामिल थीं। प्रशांत किशोर ने यह साबित कर दिया कि आधुनिक चुनाव सिर्फ भावनाओं पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक विश्लेषण और कुशल प्रबंधन पर भी जीते जा सकते हैं।
लगातार सफलताएँ: कई राज्यों में जीत का मंत्र इस सफलता के बाद, प्रशांत किशोर ने कई राजनीतिक दिग्गजों के लिए काम किया और उन्हें चुनावी जीत दिलाई। 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले ‘महागठबंधन’ को भारी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (2017), आंध्र प्रदेश में वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी (2019), और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (2021) जैसे नेताओं ने भी उनकी रणनीतियों का लाभ उठाया और अपने-अपने राज्यों में जीत हासिल की। उनकी कार्यप्रणाली में गहन शोध, स्थानीय भावनाओं को समझना, प्रभावशाली कथाएँ गढ़ना, और मीडिया व सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग करना शामिल है। वह हर अभियान को एक ब्रांड के रूप में देखते हैं, जिसे जनता के बीच स्थापित करना होता है। उनकी यह क्षमता उन्हें एक अनूठा चुनावी रणनीतिकार बनाती है।

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द पावरहाउस: इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC)
प्रशांत किशोर की प्रसिद्धि के साथ-साथ उनकी कंपनी, इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) भी भारतीय राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम बन गई। I-PAC एक राजनीतिक सलाहकार फर्म है जो विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनावी अभियानों में सहायता प्रदान करती है। यह कंपनी प्रशांत किशोर के दृष्टिकोण का परिणाम है।
I-PAC का कार्यक्षेत्र: डेटा, रणनीति और संचार I-PAC की सेवाओं में शामिल हैं:
- डेटा विश्लेषण और सर्वेक्षण: मतदाताओं की नब्ज समझने और उनके मुद्दों की पहचान करने के लिए गहन सर्वेक्षण और डेटा विश्लेषण।
- रणनीति निर्माण: चुनाव जीतने के लिए समग्र अभियान रणनीति का डिजाइन।
- संचार और ब्रांडिंग: प्रभावी नारे, विज्ञापन और जनसंपर्क अभियान तैयार करना।
- सोशल मीडिया प्रबंधन: डिजिटल प्लेटफार्मों पर मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करना।
- जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन: अभियानों को जमीनी स्तर पर लागू करने में मदद करना। I-PAC ने राजनीतिक परामर्श के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित किया है, जिससे पारंपरिक राजनीतिक दलों को भी अपनी प्रचार रणनीतियों को आधुनिक बनाने पर मजबूर होना पड़ा है। यह कंपनी अब प्रशांत किशोर के मार्गदर्शन और प्रेरणा से काम करती है, लेकिन वह अब सीधे इसके संचालन में शामिल नहीं हैं क्योंकि उन्होंने खुद को सक्रिय राजनीति में उतारने का फैसला किया है। I-PAC का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र में पेशेवर और डेटा-संचालित चुनावी अभियानों को बढ़ावा देना है।
प्रशांत किशोर की ‘फीस’ का मिथक और सच्चाई
यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर सार्वजनिक और मीडिया में पूछा जाता है: “प्रशांत किशोर फीस कितनी लेते हैं?” यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रशांत किशोर या उनकी कंपनी I-PAC किसी भी राजनीतिक दल से सीधे ‘फीस’ नहीं लेते, जैसे कोई व्यक्तिगत सलाहकार या वकील लेता है। इसके बजाय, वे एक परियोजना-आधारित मॉडल पर काम करते हैं जिसमें अभियान के लिए एक समग्र बजट निर्धारित होता है।
परियोजना-आधारित बजट: खर्चों का विस्तृत विश्लेषण यह बजट केवल प्रशांत किशोर या I-PAC के लाभ के लिए नहीं होता, बल्कि इसमें अभियान से संबंधित सभी खर्च शामिल होते हैं:
- टीम का वेतन: I-PAC में सैकड़ों विश्लेषक, शोधकर्ता, ग्राफिक डिजाइनर, कंटेंट राइटर, और फील्ड कार्यकर्ता शामिल होते हैं।
- डेटा और रिसर्च: बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण, डेटा संग्रह और विश्लेषण की लागत।
- प्रचार सामग्री: विज्ञापन, पोस्टर, वीडियो, और अन्य प्रचार सामग्री का निर्माण।
- लॉजिस्टिक्स: यात्रा, आवास और अन्य परिचालन खर्च।
- तकनीकी उपकरण: सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और तकनीकी सहायता। यह एक व्यापक निवेश होता है जो राजनीतिक दल चुनावी सफलता सुनिश्चित करने के लिए करते हैं। I-PAC अपनी विशेषज्ञता, अनुभव और सफल ट्रैक रिकॉर्ड के लिए यह बजट लेता है। यह एक उच्च-मूल्य वाली सेवा है जो राजनीतिक दलों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है, इसलिए इसके लिए एक पर्याप्त बजट निर्धारित किया जाता है, न कि व्यक्तिगत ‘प्रशांत किशोर फीस’।
किस पार्टी से हैं प्रशांत किशोर? राजनीतिक पारी की शुरुआत ‘जन सुराज’ से
लंबे समय तक भारतीय राजनीति में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने के बाद, प्रशांत किशोर ने अब खुद सक्रिय राजनीति में कदम रखने का फैसला किया है। उन्होंने किसी मौजूदा राजनीतिक दल में शामिल होने की बजाय, ‘जन सुराज‘ नामक एक अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य बिहार में एक नई राजनीतिक वैकल्पिक शक्ति का निर्माण करना है।
जन सुराज अभियान: बिहार में एक नई राजनीतिक विकल्प ‘जन सुराज’ अभियान का मुख्य विचार बिहार में जमीनी स्तर पर काम करके लोगों को जोड़ना और एक ऐसे राजनीतिक मंच का निर्माण करना है जो जाति, धर्म और पारंपरिक राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर सुशासन और विकास पर केंद्रित हो। प्रशांत किशोर ने बिहार के विभिन्न हिस्सों में ‘पदयात्रा’ की है, सीधे लोगों से जुड़कर उनकी समस्याओं को समझा है और उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका यह कदम दर्शाता है कि अब प्रशांत किशोर केवल रणनीतियों के पीछे नहीं रहेंगे, बल्कि सीधे जनता के बीच आकर बदलाव लाना चाहते हैं। यह सवाल कि “प्रशांत किशोर किस पार्टी से हैं” का जवाब अब ‘जन सुराज’ है, जो एक जन-केंद्रित आंदोलन है जिसका लक्ष्य बिहार को बदलना है।
यह कदम उन्हें एक रणनीतिकार से सीधे एक राजनीतिक नेता के रूप में स्थापित करता है, जो अब दूसरों को सलाह देने की बजाय, खुद एक राजनीतिक परिवर्तन का सूत्रधार बनना चाहते हैं। उनका मानना है कि बिहार को एक नई राजनीतिक दिशा की आवश्यकता है, और ‘जन सुराज’ उस दिशा को प्रदान करने का प्रयास है। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहाँ वे अब केवल पीछे से खेल को नियंत्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि स्वयं मैदान में उतर चुके हैं।
निष्कर्ष: प्रशांत किशोर ने भारतीय चुनावी अभियानों के तरीके में क्रांति ला दी है। उनकी कंपनी I-PAC ने कई नेताओं और पार्टियों को सफलता दिलाई है। अब जब उन्होंने खुद सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर लिया है और ‘जन सुराज’ जैसे अभियान के माध्यम से बिहार में एक नया राजनीतिक अध्याय लिखने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी यह नई पारी कितनी सफल होती है। उनके आलोचक और समर्थक दोनों ही इस बात से सहमत होंगे कि प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति में एक ऐसा चेहरा हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उनका सफर अभी भी जारी है, और भारतीय राजनीति में उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। प्रशांत किशोर का राजनीतिक सफर आने वाले समय में भारतीय राजनीति में क्या बदलाव लाएगा, यह देखने लायक होगा।
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