शुरुआत: कंजर्वेटिव समाज में बचपन और चुनौतियाँ
राजस्थान की महिला इंजीनियर की सफलता की कहानी : राजस्थान के एक छोटे से गांव में जन्मीं खुशबू जैन की कहानी हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो समाज की पुरानी सोच और सामाजिक बंधनों से बाहर निकलना चाहती है। उनके आसपास घरेलू हिंसा, भ्रूण हत्या, और बाल विवाह जैसे गैरकानूनी और समाज के लिए घातक रिवाज आम थे। परिवार और समाज में बेटों को ज्यादा महत्व दिया जाता था, जबकि लड़कियों को सीमित दायरे में रखा जाता था। बचपन से ही खुशबू ने अपने घर और समाज की इन परंपराओं को देखा और सोचा कि वह इससे अलग जिंदगी जीना चाहती हैं।
उनके परिवार में तीन बहनें थीं और इस वजह से समाज में कई तरह के ताने और अबोध मान्यताएं उनके लिए और भी बड़ी चुनौती थीं। परिवार में शिक्षा की कमी थी, इसलिए पहले कभी किसी ने पढ़ाई में बड़ी सफलता नहीं पाई थी। सामान्यतया लड़कियों की शादी 18 से 20 की उम्र में कर दी जाती थी, जबकि लड़कों की शादी 20-21 की उम्र में होती थी। लेकिन खुशबू के लक्ष्य अलग थे—वह अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थीं और पढ़ाई के बाद ही शादी करना चाहती थीं।

मां का मजबूत समर्थन: बेटियों को पंख देना
खुशबू की सबसे बड़ी ताकत उनकी मां थीं। भले ही वह खुद पढ़ी-लिखी न थीं, लेकिन उन्होंने अपने तीनों बेटियों को पढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने परिवार और समाज की बातों को नजरअंदाज कर अपनी बेटियों के सपनों का हौसला बढ़ाया। मां ने कहा, “मैं नहीं पढ़ी, लेकिन मेरी बेटियां जरूर पढ़ेंगी, और यही समाज के टैबू को तोड़ेगा।“
मां के इस विश्वास और समर्थन से खुशबू और उनकी बहनों ने पढ़ाई को अपनी प्राथमिकता बनाया। उन्होंने दसवीं तक हिंदी माध्यम से पढ़ाई की, क्योंकि घर में ज्यादा स्वीकृति अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई को नहीं थी। लेकिन इसके बाद अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने का उनका जुनून जागा। परिवार की हड़बड़ी और विरोध के बावजूद, उन्होंने जिद पकड़कर अपनी शिक्षा जारी रखी। कई बार घरवालों से झगड़ा और अनशन करने के बाद आखिरकार परिवार मान गया।
खुशबू जैन की इस प्रेरक को वीडियो के माध्यम से भी जरूर देखें और उनसे जुड़ी इस यात्रा को अपने दिल से महसूस करें।राजस्थान की महिला इंजीनियर की सफलता की कहानी
सफलता की ओर पहला कदम: इंजीनियरिंग की पढ़ाई
खुशबू ने 12वीं विज्ञान में 75% अंक लाकर अपने परिवार की पहली महिला इंजीनियर बनने का गौरव हासिल किया। यह उनके लिए और उनके पूरे परिवार के लिए बहुत बड़ा बदलाव था। परिवार में पढ़े-लिखे लोगों की कमी होने के कारण यह उपलब्धि सामाजिक सोच में बड़ा बदलाव लेकर आई। खुशबू की सफलता ने उन्होंने खुद समेत कई युवा लड़कियों के लिए रास्ते खोल दिए।
नए मुकाम की ओर: सेना और सिविल सेवा की तैयारी
राजस्थान की महिला इंजीनियर की सफलता की कहानी : इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद खुशबू ने एक्सेंचर कंपनी से प्लेसमेंट पाया, परन्तु उन्होंने सेना में जाने या सिविल सेवा की तैयारी करने का सपना देखा। परिवार पहले से ही सेना में लड़कियों के जाने के खिलाफ था, लेकिन खुशबू ने अपने सपनों को दबाया नहीं। वे छुपकर भोपाल गईं और एसएसबी इंटरव्यू दिया। वहां उन्होंने सभी स्टेजेज पास किए, लेकिन फ्लैट फुट होने के कारण मेडिकल में रिजेक्ट हो गईं।
इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारियां शुरू कीं। कई बार असफलता मिली और उस दौरान उनकी निजी जिंदगी में भी कई परेशानियां आईं। उन्होंने कई बार निराशा का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज खुशबू UPSC aspirants की मेंटर हैं। उनका अपना एक ऐप भी है, जिससे वे छात्रों को व्यक्तिगत सलाह और मार्गदर्शन देती हैं। कई युवाओं ने उनकी मदद से सफलता हासिल की है।
जीवन की कठिनाइयों से सीख और मानसिक शक्ति
कई बार हार मिलने और निजी समस्याओं के कारण खुशबू डिप्रेशन और अकेलेपन की स्थिति में पहुंच गईं। उनके संपर्क परिवार और दोस्तों से टूट गए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आर्ट ऑफ लिविंग जैसी गतिविधियों में शामिल होकर ध्यान, योग और धार्मिक ग्रंथों – जैसे कि भगवद गीता, शिव पुराण, बजरंग पुराण – से मानसिक शांति और ताकत पाई।
खुशबू बताती हैं कि जीवन में दुख तो आना तय है, लेकिन उनका सामना किस तरह से करते हैं, यही हमारी असली परीक्षा होती है। उन्होंने निष्काम कर्म का महत्व समझा और जीवन के हर संघर्ष से ऊपर उठकर एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश की।
समाज और परिवार में बदलाव की मिसाल
खुशबू की मेहनत और सफलता ने उनके परिवार और गांव की सोच को पूरी तरह बदल दिया है। उनके परिवार वाले अब गर्व से कहते हैं कि उनकी बेटियां लड़कों से कम नहीं हैं। बहनें भी खुशबू की तरह आगे बढ़ रही हैं। गांव की महिलाओं और लड़कियों ने भी पढ़ाई और करियर को लेकर नई सोच अपनाई है।
हर लड़की के लिए संदेश : राजस्थान की महिला इंजीनियर की सफलता की कहानी
खुशबू जैन का संदेश हर लड़की और महिला के लिए है:
“अपने आप को मत सीमित करो। पढ़ाई करो, अपना करियर बनाओ और आत्मनिर्भर बनो। खुशियां और सम्मान पाना हर लड़की का हक है। समाज के पुराने नियमों को मत मानो। माँ भी आपकी हीरो हो सकती हैं, और आप अपनी ज़िंदगी की नायिका हो।”
निष्कर्ष
खुशबू जैन की कहानी सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि उन सभी लड़कियों की है जो सामाजिक बंदिशों को तोड़कर अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं। यह कहानी यह दिखाती है कि सच्ची हिम्मत, परिवार का समर्थन, और शिक्षा के बल पर कोई भी बाधाएं पार की जा सकती हैं।
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